फांसी का फंदा भी फूलो से कम न था
वो भी डूब सकते थे इश्क में किसी के पर
वतन उनके लिए माशूक के प्यार से कम न था"
आज हम जिस आजादी के हवा में सांस ले रहे हैं उस आजादी को प्रदान करने में कई लोगों की महती भूमिका रही। असंख्य लोगों ने इस आजादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करते हुए सदा के लिए भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्ने में दर्ज हो गए। आजादी की इस लड़ाई में 23 मार्च भारतीय इतिहास में एक ऐसी घटना के रूप में सामने आता है जो युगों-युगों तक प्रत्येक भारतीय को प्रेरणा प्रदान करता रहेगा। आपको बता दें इसी दिन अंग्रेजो के द्वारा भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को ही फांसी दी गई थी। भारत मां के इन सच्चे सपूतों की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ब्रिटिश सरकार ने विद्रोह की आशंका से इन तीनों को समय से पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया गया। भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव तीनों ऐसे कालजई महापुरुष थे जिन्होंने लोकप्रियता के मायने में सारे तात्कालिक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को पछाड़ दिया था। वर्तमान में इनकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब भी कोई व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की बात करता है तो उसे भगत सिंह की संज्ञा दे दी जाती है। हम भारत माता के ऐसे महान सपूतों को शत-शत नमन करते हैं।